उत्तराखंड

केदारनाथ उपचुनाव के लिए भाजपा व कांग्रेस ने घोषित किया प्रत्याशी, पढ़िए ख़बर…

केदारनाथ उपचुनाव के लिए भाजपा व कांग्रेस ने घोषित किया प्रत्याशी, पढ़िए ख़बर…

देहरादून।

केदारनाथ उपचुनाव को लेकर बीजेपी की तरफ से प्रत्याशी के नाम का सस्पेंस हुआ खत्म

बीजेपी की तरफ से आशा नौटियाल को बनाया केदारनाथ सीट से प्रत्याशी

दिवंगत विधायक शैला रानी रावत के निधन के बाद केदारनाथ सीट पर हो रहा है उपचुनाव

केदारनाथ विधानसभा सीट के लिए भाजपा ने आशा नौटियाल और कांग्रेस ने मनोज रावत को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। दोनों प्रत्याशी सोमवार को नामांकन करेंगे। केदारनाथ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को उपचुनाव होना है। भाजपा विधायक शैलारानी के निधन से यह सीट रिक्त हुई है। ऐसे में पार्टी की प्रतिष्ठा से जुड़ी इस सीट पर प्रत्याशी को लेकर भाजपा ने आशा नौटियाल के नाम की घोषणा की।

भाजपा ने लंबे सस्पेंस के बाद आख़िर केदारनाथ विधानसभा के उपचुनावों में अपना प्रत्याशी घोषित करते हुए महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और केदारनाथ सीट से पूर्व विधायक आशा नौटियाल पर भरोसा जताया हैं।हालांकि कार्यकर्ताओं के बीच आशा नौटियाल और दिवंगत विधायक शैलारानी की बेटी ऐश्वर्या का भाजपा से टिकट होने को लेकर सस्पेंस बना था।लेकिन भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने केदारनाथ सीट से आशा नौटियाल के नाम पर मोहर लगाकर लोगो के बीच के सस्पेंस को दूर कर दिया हैं।

उधर दूसरी ओर कांग्रेस ने भी भाजपा के टिकट फाइनल होने से ठीक पहले केदारनाथ सीट पर आधिकारिक तौर पर इसी सीट से पूर्व विधायक मनोज रावत रावत के नाम पर अंतिम मुहर लगाई हैं।टिकट की आधिकारिक घोषणा के बाद मनोज रावत के द्वारा विधानसभा क्षेत्र में भ्रमण भी शुरू कर दिया गया हैं।वहीं दौनो दलों के प्रत्याशियो के द्वारा कल ऊखीमठ में नामांकन किया जाएगा।कांग्रेस के उम्मीदवार मनोज रावत के नामांकन में पूर्व सीएम हरीश रावत सहित कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के मौजूद रहने की उम्मीद हैं।वहीं भाजपा उम्मीदवार आशा नौटियाल के नामांकन में सीएम पुष्कर सिंह धामी,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट सहित लोकसभा सांसद अनिल बलूनी भी मौजूद रहेंगे।

केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाया है। वर्ष 2017 के बाद वह एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में वह केदारनाथ विस की पहली विधायक चुनी गईं, तब वह भाजपा से प्रत्याशी थीं।

वर्ष 2007 में भी उन्हें क्षेत्रीय जनता ने अपना विधायक चुना था। इसके बाद दो बार चुनाव में उन्हें पराजय मिली। ऊखीमठ विकासखंड के दिलमी गांव निवासी आशा नौटियाल एक सामान्य परिवार से संबंध रखती हैं। उनके पति रमेश नौटियाल पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं। वह वर्ष 1996 में पहली बार ऊखीमठ वार्ड से निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं।

इसके बाद वर्ष 1997-98 में उन्हें भाजपा ने जिला उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी और वर्ष 1999 में उन्हें महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष चुना गया। सौम्य व्यवहार और निरंतर जनसंपर्क की वजह से वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में आशा नौटियाल को भाजपा ने केदारनाथ विस से प्रत्याशी बनाया और वह विजयी हुईं। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी दिवंगत विधायक शैलारानी रावत को पराजित किया था।

आशा नौटियाल की जब पुन: पार्टी में हुई वापसी

वर्ष 2007 में भी भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी कुंवर सिंह नेगी को पराजित कर विजयश्री हासिल की। वर्ष 2012 में लगातार तीसरी बार वह भाजपा की प्रत्याशी घोषित हुईं, पर इस बार उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी शैलारानी रावत से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वर्ष 2016 में शैलारानी रावत भाजपा में शामिल हो गईं और वर्ष 2017 में भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया, जिस पर आशा नौटियाल ने पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहीं। तब, कांग्रेस से मनोज रावत विधायक चुने गए और निर्दलीय कुलदीप रावत दूसरे स्थान पर रहे।

कुछ समय बाद आशा नौटियाल की पुन: पार्टी में वापसी हुई और वह क्षेत्र में सक्रिय हो गईं। वर्ष 2022 में पार्टी ने पुन: शैलारानी रावत को प्रत्याशी बनाया और वह जीत गईं। वहीं, आशा नौटियाल को महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया, जिसके बाद वह सीधे हाईकमान के संपर्क में आ गईं। इस बार सदस्यता अभियान में भी वह गांव-गांव संपर्क करती दिखीं। विस क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।

केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस से टिकट के लिए मनोज रावत, हरक सिंह रावत समेत कई दावेदार थे लेकिन मनोज रावत बाजी मारने में कामयाब रहे। मनोज रावत 2017 में क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। हालांकि मनोज रावत का वोट बैंक एकजुट नहीं रहा है। 2022 के चुनाव में मनोज रावत कांग्रेस के पक्ष में माहौल होने के बाद भी तीसरे नंबर पर खिसक गए थे।

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