जल विद्युत निगम की टनल में रिसाव
उत्तरकाशी जिले की महत्वपूर्ण परियोजना जलविद्युत मनेरी भाली द्वितीय चरण की टनल में अब रिसाव बढ़ने लगा है मेहर गांव के नजदीक चम्यारी गाड के पास मनेरी भाली परियोजना द्वितीय चरण की टनल में भारी रिसाव होने के कारण मेहर गांव और चम्यारी के आम जनमानस को इससे खतरा पैदा हो गया है। तो वहीं बीते 3 सालों से जल विद्युत निगम के अधिकारी कर्मचारियों और इंजीनियरों ने इस क्षेत्र में लाखों रुपए खर्च कर ट्रीटमेंट कार्य को सफल नहीं बना पाए हैं।
साथ ही सूत्रों से मिली जानकारी से पता चला है कि टनल के ट्रीटमेंट के नाम पर करोड़ों रुपए ठिकाने भी लगाए जा रहे हैं जिस जगह पर रिसाव हो रहा है वहां जल विद्युत निगम के अधिकारी कर्मचारियों ने लाखों रुपए खर्च किए हैं लेकिन जमीन पर सीमेंट और कंक्रीट का एक बिलोक भी नजर नहीं आ रहा है इस क्षेत्र में हो रहे टनल के रिसाव से ग्रामीणों की खेती, नहरें और रास्तों को भारी नुकसान तो हुआ ही है लेकिन सबसे बड़ा खतरा टनल के रिसाव से भारी तबाही का लगाया जा रहा है। लेकिन लापरवाही इतनी बड़ी है कि जल विद्युत निगम के इंजीनियर 3 सालों से ना तो ट्रीटमेंट कार्य कर पा रहे हैं और ना ही कोई नई तकनीक का इस्तेमाल अब अरबों रुपए की इस परियोजना पर खतरा मंडराने लगा है।
जानकारों की माने तो
1-टनल में भरा पानी कभी भी गोली की तरह बाहर आ सकता है जिससे भारी मात्रा में पानी आएगा और भारी तबाही होगी
2- टनल अगर टूटती है तो टनल में भरा पानी एक साथ बाहर आने का खतरा है जिससे आसपास के क्षेत्रों और टिहरी झील को भी भारी नुकसान हो सकता है।
3- जानकारी यह भी बताते हैं कि अगर टनल ने रिसाव के कारण हवा ले ली तो टनल में दबाव से भारी विस्फोट हो सकता है जिससे पूरे क्षेत्र में तबाही हो सकती है।
आपको बता दें कि उत्तरकाशी जिले की मनेरी भाली परियोजना द्वितीय 2008 में बनकर तैयार हुई थी लगभग 16 किलोमीटर की यह टनल जोशियाड़ा बैराज से धरासू पावर हाउस तक जाती है। जो 304 मेगावाट बिजली उत्पादन कर रही है। अरबों रुपए की इस कल्याणकारी परियोजना पर अब खतरा मंडराने लगा है लेकिन निगम के आला अधिकारी जल विद्युत निगम में बैठे बड़े-बड़े इंजीनियर या तो इस बड़ी घटना को छिपाने पर लगे हुए हैं या फिर ट्रीटमेंट के नाम पर करोड़ों डकारने में इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इतनी बड़ी घटना को 3 साल हो गए हैं लेकिन अब तक जल विद्युत निगम की मनेरी भाली द्वितीय चरण की टनल पर ट्रीटमेंट कार्य सफल नहीं हो पाया है। और ना ही इसके लिए कोई ठोस कदम उठाए गए लगता है शायद जल विद्युत निगम के अधिकारी किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं।
स्थानीय ग्रामीण
स्थानीय ग्रामीण
उत्तरकाशी और टिहरी बॉर्डर के पास में बनी यह परियोजना टिहरी झील से मिलती है इस परियोजना से हर महीने करोड़ों की आमदनी होती है। टनल मैं रिसाव होने के बाद यहां की नामचीन इंजीनियरों ने निगम को ट्रीटमेंट के नाम पर कई बार के स्टीमेट भेजें लेकिन अब तक लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी इस टनल के रिसाव को नहीं रोका जा सका है जो बड़े-बड़े इंजीनियरों की काबिलियत पर भी सवाल खड़ा होता है। तो वहीं निगम के अधिकारी कर्मचारी और जिले के अधिकारी इस मामले पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। तो गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने इस मामले को लेकर सरकार और शासन के संज्ञान में लाने की बात कही है।
सुरेश चौहान गंगोत्री विधायक
उत्तरकाशी में बनी जल विद्युत परियोजना मनेरी भाली द्वितीय टनल का रिसाव होना बहुत ही गंभीर और संवेदनशील मामला है जिस पर जल्द सरकार फैसला नहीं लेती है तो कोई बड़ी घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। चैनल की टेक्निकल प्वाइंट के ऊपर बड़े सवाल खड़े तो हो ही रहे हैं साथ ही चैनल के ट्रीटमेंट के नाम पर करोड़ों पर ठिकाने लगाने की भी कहीं ना कहीं साजिश हो रही है।
रिपोर्ट:- भगवती रतूड़ी, सम्पादक