उत्तराखंडपर्यावरण

इको सेंसेटिव जोन में सुरक्षा दीवार के नाम पर चल रहा खनन का खेल, जिला प्रशासन मौन

Mining game going on in the name of security wall in eco sensitive zone, district administration silent

भटवाडी़ तहसील अंतर्गत मनेरी बैराज से ठीक पहले सिंचाई विभाग के ठेकेदार सुरक्षा दीवार की आड़ में इको सेंसेटिव जोन में जेसीबी मशीन से खनन किया जा रहा है।
मीडिया के दखल के बाद सोमवार को वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच कर जांच शुरू कर दी है।
बता दें कि सिंचाई विभाग सुरक्षा दीवार लगवा रही है ठेकेदारों बिना अनुमति से इको सेंसेटिव जोन अंतर्गत लगभग आधा किलोमीटर सड़क काटकर गंगा जी को रोक कर उसके ऊपर डंपर व जेसीबी-पोकलैंड मशीन गंगा पार लेजाकर इको सेंसेटिव जोन के नियम की अनदेखी कर बिना रॉयल्टी के उप खनिज उठाया जा रहा है।
यहां कार्य उप खनिज से भरी गंगा में अवैध खनन का काला कारोबार बदस्तूर जारी है। खबर के मुताबिक सुरक्षा दीवार के आड़ में खनन माफिया रात- दिन गंगा नदी का सीना चीर खूब चांदी काट रहे हैं ।वही जिम्मेदार अधिकारी नींद में हैं।

भटवाडी़ तहसील के अन्तर्गत मनेरी थाने के ठीक सामने माता खंडाश्वरी मंदिर के नीचे इको सेंसटिव जोन के एरिया में खनन माफिया के हौसले बुलंद है। खनन माफिया ने मां गंगा की अवतल धारा को पहले चैनेलाइज एवं -रोक कर जेसीबी व पोलैंड की मदद से रास्ता तैयार किया गया। जिसमें रात -दिन लगातार बेखौफ होकर निमार्ण कार्य हेतु खनन किया जा रहा हैं।
यहां गंगा जी में खनन का खेल व्यापक स्तर पर चल रहा है। ऐसा नहीं कि प्रशासन को इस काले कारोबार की भनक न हो। मगर, सच यह है कि जिम्मेदार अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहें हैं। नतीजन खनन माफियों के हौंसले बुलंद हैं और वह रात दिन अवैध रूप से नदियों से उप खनिज उठा रहे हैं।
गौरतलब है कि एक ओर वन विभाग से स्वीकृत ना मिलने से जिले की सड़कें, पानी की लाइनें स्वीकृत की प्रतिक्षा में है लेकिन मनेरी के अंतर्गत सिंचाई विभाग द्वारा करवाया जा रहे सुरक्षा दीवार निर्माण में इको सेंसेटिव जोन की तमाम बंदिशें कैसे पार हो गई इसमें राज्य विभाग व जिला प्रशासन की चुप्पी पर सवाल खड़े हो रहे ।
इको सेंसेटिव जोन क्षेत्र जहां चम्मच से रेत निकालना अपराध है वहां जेसीबी मशीन से कैसे खनन हो रहा है ये बड़ा सवाल है ?।
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क्या कहते वनाधिकारी उत्तरकाशी
वन विभाग की टीम मौके पर गई थी मामला राजस्व विभाग का राजस्व विभाग को पहले ही रोकना चाहिए था।
डीपी बलूनी
प्रभागीय वनाधिकारी उत्तरकाशी वन प्रभाग।

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