देश की सीमाओं को दुश्मन से सुरक्षित रखने वाली सेना अब सीमा पर बसे प्रथम गांवों के विकास में भी योगदान दे रही है। इस कड़ी में केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के नेलांग और जादूंग गांव की पुनर्स्थापना के लिए सेना ने सात योजनाएं तैयार की हैं। इन योजनाओं को पूरा करने के लिए आपरेशन सद्भावना शुरू किया गया है। इनके तहत गांवों में मूलभूत सुविधाओं का विकास करने के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे गांव तो जीवंत होंगे ही पलायन भी थमेगा।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लगभग 125 किमी दूर स्थित नेलांग घाटी के इन दोनों गांवों को वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान सुरक्षा के लिहाज से सेना ने खाली करवाया था। उस समय नेलांग में 80, जबकि जादूंग में 23 से अधिक परिवार थे। तब से ये परिवार डूंडा वीरपुर और बगोरी गांव में रह रहे हैं।
मगर अब सरकार ने यहां आजीविका संवर्द्धन व पर्यटन विकास की दिशा में कसरत शुरू की है। पहले चरण में जादूंग गांव में छह होम स्टे बनाने की स्वीकृति मिली है। इसके बाद 17 और होमस्टे बनाए जाएंगे। इन गांवों में संचार और विद्युत सुविधा का विस्तार भी किया जाना है। इसके साथ ही भैरव घाटी से लेकर जादूंग तक ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने की संभावना भी तलाशी जा रही है।
डॉ मेहरबान सिंह बिष्ट, जिलाधिकारी