उत्तराखंडपर्यावरण

वनाग्नि की रोकथाम हेतु कारगर कदम उठाए जाए:- डॉ मेहरबान सिंह बिष्ट

Effective steps should be taken to prevent forest fire:- Dr. Meharban Singh Bisht

जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने जिले की समृद्ध वन संपदा और जैव विविधता को संरक्षित रखने के लिए वनाग्नि की रोकथाम हेतु कारगर कदम उठाए जाने पर जोर देते हुए इस काम में स्थानीय समुदाय की अधिकाधिक सहभागिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने वनाग्नि के प्रभावी नियंत्रण हेतु गठित जिला स्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हर साल एक बड़ा वन क्षेत्र आग की चपेट में आने से वनों एवं वन्यजीवों को भारी नुकसान पहुंचता है। वनाग्नि नियंत्रण हेतु संसाधनों में हाल के सालों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और  नई तकनीकों के समावेश व संचार प्रणाली के विस्तार ने दावानल के प्रबंधन के काम को अधिक कारगर बनाया है। लेकिन अब भी पर्वतीय क्षेत्रों में हर साल वनों में आग लगने की घटनायें होती रहती है। जिसे देखते हुए 87 फ़ीसदी वन क्षेत्र वाले उत्तरकाशी जिले में वनाग्नि नियंत्रण की चुनौती और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। जिलाधिकारी ने वन विभाग के अधिकारियों को वनाग्नि के नियंत्रण के लिए कारगर उपाय सुनिश्चित किए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि इस काम में जिला योजना और आपदा मद से अधिक संसाधन उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने वन विभाग की कार्य योजना में फायर लाइनों के पुनर्जीवन व वह विस्तारीकरण के साथ ही  वनाग्नि के प्रति अत्यधिक संवेदनशील चीड़ के स्थान पर स्थानीय व उपयुक्त प्रजाति के वृक्ष पनपाये जाने की योजनाओं को प्राथमिकता देने की अपेक्षा की। डॉ.बिष्ट ने वनों से होकर गुजरने वाली सड़कों को फ़ायरलाइन के रूप में उपयोग में लाये जाने के उपायों पर विचार किये जाने की जरूरत बताते हुए कहा कि हमें वनाग्नि प्रबंधन हेतु लीक से हटकर नई सोच के साथ कुछ अभिनव पहल भी करनी होगी। ताकि हम अधिक त्वरित, व्यापक और प्रभावी कार्रवाई करने में सक्षम बन सकें।
उन्होंने वनों की सुरक्षा के लिए समय-समय पर पिरुल की सफाई, वन चौकी और क्रू स्टेशन पर पर्याप्त संसाधनों, अग्निशामक सामग्री व उपकरणों आदि की व्यवस्था रखने और ग्रामीणों को वनाग्नि के प्रति सचेत व जागरूक बनाये जाने की अपेक्षा की।
जिलाधिकारी ने  वन विभाग की कार्य योजना के निर्धारण और क्रियान्वयन में जन-समुदाय की अधिकाधिक सहभागिता सुनिश्चित किये जाने की अपेक्षा करते हुए वनाग्नि नियंत्रण के काम में स्थानीय लोगों व वन पंचायतों से सक्रिय सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने वनाग्नि के विस्तृत डाटा संकलित कर संवेदनशील क्षेत्रों में  अधिक एहतियात बरते जाने और आवश्यक संसाधन सहित फायर क्रू को हमेशा कार्रवाई हेतु तैयार रखने के निर्देश दिए। उन्होंने वनाग्नि नियंत्रण हेतु प्रस्तावित रणनीति की समीक्षा करते हुए कहा कि वन विभाग को आवश्यकता पड़ने पर अन्य विभागों से भी संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।
बैठक में वन विभाग के अधिकारियों ने वनों को आग से बचाने के लिए प्रस्तावित कार्ययोजना प्रस्तुत करते हुए बताया कि जिले के सभी 7 वन प्रभागों में  वनाग्नि के नियंत्रण हेतु 144 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं। वनों में आग लगने की जानकारी के लिए सेटेलाइट की भी मदद ली जा रही है।

बैठक में मुख्य विकास अधिकारी जय किशन, अपर जिलाधिकारी रज़ा अब्बास, प्रभागीय वनाधिकारी उत्तरकाशी डीपी बलूनी , गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक जीएन पांडेय, डीएफओ अपर यमुना अभिलाषा सिंह, डीएफओ टौंस दीपक कुमार, उप जिलाधिकारी बृजेश कुमार तिवारी, पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रशांत कुमार, जिला शिक्षा अधिकारी अमित कोटियाल, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. कुलवीर सिंह राणा, एसडीओ मयंक कुमार , जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल, वन निगम के प्रभागीय लॉगिंग प्रबंधक सहित बीआरओ,
लोनिवि, राजमार्ग खंड, अग्निशमन विभाग व आईटीबीपी के अधिकारियों के साथ ही नागरिक समुदाय व पर्यावरण संगठनों के प्रतिनिधि लोकेंद्र बिष्ट, नागेंद्र दत्त थपलियाल, प्रताप पोखरियाल आदि ने भाग लिया।

बैठक में चारधाम आल वेदर रोड योजना के तहत बीआरओ के अधीन बड़ेथी से भैरोघाटी सड़क के निर्माण कार्य तथा राष्ट्रीय राजमार्ग खंड बड़कोट के द्वारा निर्माणाधीन यमुनोत्री राजमार्ग हेतु वनभूमि की स्वीकृति से संबंधित प्रकरणों पर भी विस्तार से चर्चा कर इन मामलों को जल्द निस्तारित करने के निर्देश दिए गए। जिलाधिकारी ने पीएमजीएसवाई की सड़को के निर्माण में भी  वनभूमि से संबंधित बाधाओं को दूर करने का निर्देश देते हुए कहा कि इन मामलों में इसी सप्ताह शासन स्तर पर वार्ता की जाएगी।

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